Mai ek kati Patang jaisa Hun,
Dor se Na kisi ke haath me bandha Hun,
Khud hi sambhalta Hun ,
Khud hi mai uddta Hun,
Hawaa se jhagadta Hun,
Tinko se ladhta Hun ,
Phirr bhi Mai udta Hun,
Taar se latakta Hun ,
Paidon se atakta Hun,
Phirr bhi Mai uddta Hun,
Mai abaad Hun ,
Apni Manzil khud banata Hun,
Mai ek kati Patang jaisa Hun...
----------------------Hindi Version---------------------
मैं एक कटी पतंग जैसा हूँ,
डोर से न किसी के हाथ में बंधा हूँ,
खुद ही संभलता हूँ ,
खुद ही मैं उड़ता हूँ,
हवा से झगड़ता हूँ,
तिनको से लढता हूँ ,
फिर भी मैं उड़ता हूँ,
तार से लटकता हूँ ,
पैड़ों से अटकता हूँ,
फिर भी मैं उड़ता हूँ,
मैं आबाद हूँ ,
अपनी मंज़िल खुद बनाता हूँ,
मैं एक कटी पतंग जैसा हूँ,